June 17, 2025
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Chhau is the language culture News tradition and identity of Seraikela; Administration should work together with Chhau experts and intellectuals for its upliftment: Seraikela Chhau Artist Association. कोल्हान झारखण्ड सरायकेला-खरसावाँ सुर्खियां

SARAIKELA NEWS : सरायकेला की भाषा, संस्कृति, परंपरा और पहचान है छऊ; इस के उत्थान के लिए छऊ के जानकार एवं बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर कार्य करें प्रशासन: सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन . . .

SARAIKELA NEWS : सरायकेला की भाषा, संस्कृति, परंपरा और पहचान है छऊ; इस के उत्थान के लिए छऊ के जानकार एवं बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर कार्य करें प्रशासन: सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन . . .
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सरायकेला की भाषा, संस्कृति, परंपरा और पहचान है छऊ; इस के उत्थान के लिए छऊ के जानकार एवं बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर कार्य करें प्रशासन: सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन . . .

सरायकेला। आगामी चैत्र पर्व छऊ महोत्सव को देखते हुए सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन ने जिला प्रशासन से छऊ के उत्थान के लिए छऊ के जानकार और बुद्धिजीवियों के साथ मिलकर कार्य करने की बात कही है। एसोसिएशन के अध्यक्ष भोला महंती, सीनियर फेलो सलाहकार सदस्य रजत पटनायक और एसोसिएशन के सचिव सुदीप कवि ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उक्त बातें कहते हुए कहां है कि छऊ नृत्य कला सरायकेला की भाषा, संस्कृति, परंपरा एवं पहचान है। उन्होंने कहा कि राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र की स्थापना वर्ष 1961 में हुई थी। तभी से समिति का गठन कर छऊ के विकास के साथ-साथ चैत्र पर्व और पारंपरिक पूजा पाठ पर विचार कर संपादित होते आ रहा है। जिसके पदेन अध्यक्ष उपायुक्त और सचिव अनुमंडल पदाधिकारी सरायकेला सहित सदस्य के रूप में स्थानीय कलाकार, जानकार और बुद्धिजीवियों को रखा जाता है। उन्होंने बताया कि जिस वैश्विक कला और संस्कृति के कारण सरायकेला की विश्व पटल पर पहचान है तथा कला और कलाकार अपने अस्तित्व के लिए आज जूझ रहे हैं। देश की आजादी के उपरांत राज घरानों के मर्जर एग्रीमेंट के अनुसार विलय संधि विशुद्ध रूप से पारंपरिक सरायकेला छऊ और यहां के पारंपरिक पूजा पाठ के संरक्षण के लिए हुआ था। इसलिए प्रशासन सरायकेला छऊ के जानकार और इससे संबंधित इतिहास के जानकार बुद्धिजीवियों की एक समिति बनाएं, ताकि सही तरीके से हम अपनी पारंपरिक कला संस्कृति को बचा सके। प्रशासन को सरायकेला छऊ के जनक कुंवर विजय प्रताप सिंहदेव के नाम पर प्रतिवर्ष “सरायकेला यंग कलाकार ईयर अवार्ड” की शुरुआत किये जाने पर भी विचार करना चाहिए। इससे हम अपनी जनक को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकेंगे। और हम अपनी पारंपरिक संस्कृति को बचाने के लिए प्रयास करते रहेंगे। उन्होंने बताया कि आगामी रविवार को छऊ के जानकार, कलाकार और बुद्धिजीवियों की एक वृहद बैठक आयोजित कर आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा।

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