June 16, 2025
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सीडब्ल्यूसी ने जुड़वा समेत तीन बच्चों को परिवार में किया रिस्टोर ढाई साल से मिशनरीज ऑफ चैरिटी में रह रहे थे जुड़वा भाई मां की मृत्यु के कारण समिति कर रही थी शिशूओं की देखभाल… – Vananchal 24TV Live – वनांचल 24TV लाइव

सीडब्ल्यूसी ने जुड़वा समेत तीन बच्चों को परिवार में किया रिस्टोर ढाई साल से मिशनरीज ऑफ चैरिटी में रह रहे थे जुड़वा भाई मां की मृत्यु के कारण समिति कर रही थी शिशूओं की देखभाल… – Vananchal 24TV Live – वनांचल 24TV लाइव
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संवाददाता:- मौसम कुमार गुप्ता, दुमका (झारखंड)

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दुमका। बाल कल्याण समिति ने जुड़वा भाईयों समेत तीन बच्चों को उनके परिवार में पुनःस्थापित (रिस्टोर) कर दिया है। बच्चों की मां की मृत्यु होने और परिवार में नवजात की देखभाल और संरक्षण में कठिनाई होने के कारण ये तीनों बच्चे समिति के आदेश पर दुधानी में स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी के बालगृह में रह रहे थे। बुधवार को बालगृह की प्रभारी द्वारा इन बच्चों को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। समिति के चैयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार, सदस्य रंजन कुमार सिन्हा, डॉ राज कुमार उपाध्याय, कुमारी बिजय लक्ष्मी और नूतन बाला ने बच्चों के पिता का बयान दर्ज किया।

जुड़वां बच्चों के पिता ने अपने बयान में बताया कि जब दोनों बच्चे महज 28 दिन के थे तभी उनके मां की मृत्यु हो गयी थी। इन बच्चों की मां की मृत्यु हो जाने और देखरेख में सक्षम नहीं होने के कारण उसने दोनों बच्चों को समिति के आदेश पर 01.01.2021 को मिशनरीज ऑफ चौरिटी में आवासित कर दिया था। अब दोनों बच्चे ढाई वर्ष के हो गये हैं इसलिए वह दोनों को अपने साथ अपने घर ले जाना चाहता है। उसकी चार संतान है जिसमें बड़ी बेटी 14 वर्ष की है।

वह इन दोनों बच्चों को संभाल लेगी। 6 माह के बालक के पिता ने अपने बयान में बताया कि प्रसव के दौरान ही बालक की मां की मृत्यु हो गयी थी। इस कारण उसने देखभाल और संरक्षण के लिए समिति के आदेश से बालक को 03.12.22 से मिशनरीज ऑफ चैरिटी में आवासित कर दिया था। बालक के बीमार होने पर वह उसे 06.04.23 को अपने साथ ले गया था।

तब से बालक उसके साथ ही रह रहा है। बच्चा अब बिल्कुल स्वस्थ है। वह बच्चे को अपने साथ ही रखना चाहता है। वह बच्चे की अच्छी तरह से देखभाल करेगा। समिति के चैयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार ने बताया कि बच्चों का सर्वोत्तम हित उनका परिवार के साथ रहने में है। किसी भी बालक या बालिका को बालगृह में रखना अंतिम विकल्प है। बालगृह में आवासित बच्चों को उनके परिवारों में रिस्टोर करने के लिए समिति लगातार काम कर रही है।

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