June 17, 2025
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News Saraikela: Changes in the time period of Anganwadi in view of the cold... कोल्हान झारखण्ड सरायकेला-खरसावाँ सुर्खियां

Saraikela : ठंड को देखते हुए आंगनबाड़ी के समयावधि में हुआ परिवर्तन…

Saraikela : ठंड को देखते हुए आंगनबाड़ी के समयावधि में हुआ परिवर्तन…
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ठंड को देखते हुए आंगनबाड़ी के समयावधि में हुआ परिवर्तन…

सरायकेला Sanjay  : सरायकेला-खरसावां जिले में हाड़ कंपा देने वाली सर्दी ने जन जीवन को बुरी तरह से प्रभावित कर दिया है। राज्य सरकार ने ठंड को देखते हुए पहली से पांचवी तक के छात्रों को स्कूल से छुट्टी दे दी है। ताकि बच्चों पर ठंड का बुरा असर न पड़े। लेकिन इसके विपरित जिले के करीब 1370 आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले करीब 20 हजार बच्चे ठिठुरते हुए आंगनबाड़ी केंद्र पहुंच रहे हैं। जबकि उन बच्चों की उम्र मात्र तीन से छह वर्ष के बीच है।

आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चों की स्थिति को देखते हुए मंगलवार को सरायकेला-खरसावां के उप विकास आयुक्त प्रवीण कुमार गागराई ने पत्र जारी कर सभी बाल विकास परियोजना अधिकारियों को शीतलहर के प्रकोप को देखते हुए जिला अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन के समयावधि में परिवर्तन करने का निर्देश जारी किया है। आंगनबाड़ी केंद्रों के संचालन अब सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक निर्धारित किया गया है। उक्त अवधि में बच्चों को परियोजना द्वारा देय पूरक पोषक आहार आदि का वितरण किया जाएगा। आंगनबाड़ी केंद्र से संबंधित अन्य लाभार्थियों के लिए निर्धारित सभी क्रियाकलाप पूर्ववत संचालित होंगे एवं आंगनबाड़ी सेविका सहायिका अपने कार्य दायित्व का निर्वह्न करते रहेंगे।

बच्चे पड़ने लगे थे बीमार  जिले का न्यूनतम तापमान 7 डिग्री व अधिकत्तम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। ऐसे में बच्चे ठंड से ठिठुरते हुए आंगनबाड़ी केंद्र पहुंच रहे थे। आंगनबाड़ी केंद्रों के बंद नहीं होने से अभिभावकों की चिंता बढ़ने लगी थी। ठंड के असर के कारण आंगनबाड़ी आने वाले कई बच्चे बीमार पड़ने लगे थे। छोटे बच्चों को सर्दी जुकाम लगने के बाद निमोनिया होने का खतरा अभिभावकों को सताने लगा। विभाग की ओर आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के बीच स्वेटरों का वितरण किया गया है। लेकिन कुछ बच्चे ऐसे भी है जिनके पास अब तक स्वेटर नहीं पहुंचा है। वैसे बच्चे बिना स्वेटर के ही आंगनबाड़ी केंद्र ठिठुरते हुए पहुंच रहे हैं। इतना ही नहीं बच्चे खाली पांव ही केंद्र आते हैं। इन बच्चों के पास पहनने के लिए गरम पजामा तक नहीं है। जिले में करीब 20 हजार बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचते हैं। इन बच्चों ठंडी जमीन पर बैठा कर ही पोषाहार कराया जाता था। बच्चे कांपते कांपते पोषाहार करते थे।

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