June 17, 2025
Vananchal 24TV Live – वनांचल 24TV लाइव
News कोल्हान चुनाव जरा हटके झारखण्ड पर्यटन/मनोरंजन/धार्मिक राजनीति सरायकेला-खरसावाँ सुर्खियां

झारखंड के चंहुमुखी विकास के लिए हेमंत सोरेन सरकार कृत संकल्पित होकर स्थापित कर रही है नए आयाम : चंपई सोरेन…

झारखंड के चंहुमुखी विकास के लिए हेमंत सोरेन सरकार कृत संकल्पित होकर स्थापित कर रही है नए आयाम : चंपई सोरेन…
Spread the love

हुल जोहार:  हूल दिवस के अवसर पर ग्रामीण एकता मंच ने हुल यात्रा कर हुल क्रांति के वीर शहीदों को परंपरागत तरीके से किया नमन…

झारखंड के चंहुमुखी विकास के लिए हेमंत सोरेन सरकार कृत संकल्पित होकर स्थापित कर रही है नए आयाम : चंपई सोरेन…

सरायकेला: संजय मिश्रा/जगबंधु महतो  ।

यह क्रांति करीब 170 वर्ष पुरानी है। झारखंड की माटी वीरों की माटी है। तीर के नोक पर गुलामी की जंजीर को तोड़ने का काम किया झारखंड के वीरों ने। उक्त बातें राज्य के आदिवासी कल्याण एवं मंत्री चंपाई सोरेन ने सरायकेला को सिद्धू कान्हू पार्क में आयोजित हूल दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने कभी किसी की गुलामी स्वीकार नहीं की। आने वाली पीढ़ी को हमारे इतिहास का पता होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हजारों बलिदान के बाद सीएनटी एक्ट बना है।

उन्होंने कहा कि जल -जंगल एवं जमीन के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ इस विद्रोह में हजारों लोग शहीद हुए थे। उनकी कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी। लोग उनका आत्मसात करें और अपने हक अधिकार के प्रति लड़ाई लड़ते रहे। कहा कि राज्य सरकार शिक्षा के क्षेत्र में किसी प्रकार की समझौता नहीं कर रही है। बच्चों की पढ़ाई को प्राथमिकता देते हुए उनसे जुड़ी तमाम सुविधाओं को भी विकसित कर रही है।

सरकार के प्रयास से कॉलेजों में प्लस टू के छात्रों का नामांकन प्रारंभ हुआ है यह इस बात की पुष्टि भी करता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयास से छात्रों को इधर-उधर भटकने की आवश्यकता नहीं है। वे कॉलेजों में नामांकन कर सकेंगे। मंत्री ने कहा कि निजी विद्यालय के तर्ज पर राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर एवं माहौल तैयार किया जा रहा है ताकि छात्रों को अच्छे वातावरण में शिक्षा मिल सके। मंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र आगे बढ़ते हुए राज्य में 5000 नए उत्कृष्ट विद्यालय भवन भी बनेंगे तथा बच्चों को नि:शुल्क बस सेवा भी मिलेगी। इन बसों में सीनियर सीटिजन, विधवा, विकलांग एवं पेंशन धारियों के लिए भी नि:शुल्क व्यवस्था रहेगी। पूरे झारखंड में पांच सौ रुटों पर बसों का परिचालन किया जाएगा।

इस अवसर पर जिला परिषद अध्यक्ष सोनाराम बोदरा ने कहा कि पूरे देश में हूल दिवस मनाया जा रहा है। अंग्रेजों के खिलाफ हक-अधिकार कि इस लड़ाई में हजारों लोग अपने प्राणों की आहुति दिए थे। उनके जीवन से कुछ सीखने का मौका मिला है। भाषा-संस्कृति के संरक्षण साथ-साथ जल, जंगल एवं जमीन पर अपने अधिकार बनाए रखना हमारा दायित्व है। उपायुक्त अरवा राजकमल ने कहा कि इतिहास के पन्ने में 1857 का विद्रोह को पहला विद्रोह माना गया है, परंतु यह विद्रोह उससे भी पुराना है।

ब्रिटिश हुकूमत ने इस विद्रोह के दौरान 20,000 लोगों को शहीद होने की पुष्टि की थी परंतु हकीकत में 30,000 से अधिक लोग शहीद हुए थे। एसपी आनंद प्रकाश ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ यह सबसे पुराना विद्रोह है। इस कार्यक्रम में ग्रामीण एकता मंच के अध्यक्ष जवाहर महाली ने भी संबोधित किया। इसके अलावा कार्यक्रम में ग्रामीण एकता मंच के संयोजक निरेन चंद्र सोरेन, मंगल टूडू, जगत मुर्मू, नारायण सोरेन, सुराय हांसदा, राजाराम सोरेन एवं उपस्थित अन्य सदस्यों द्वारा संबोधन किया गया। कार्यक्रम का संचालन दाखिन हेंब्रम द्वारा किया गया।

ग्रामीण एकता मंच ने हुल यात्रा कर परंपरागत तरीके से शहीदों को किया नमन :-

इससे पूर्व ग्रामीण एकता मंच द्वारा सरायकेला के माजना घाट से हुल यात्रा की गई। जो परंपरागत गाजे बाजे के साथ तकरीबन 3 किलोमीटर पैदल यात्रा कर गेस्ट हाउस स्थित सिद्धू कान्हू पार्क पहुंची। जहां परंपरागत तरीके से पुजारी नायके सामु किस्कू एवं आरती किस्कू द्वारा पूजा अर्चना की गई। इसके बाद उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से विधायक प्रतिनिधि सनद कुमार आचार्य, गोपाल महतो, गुरु प्रसाद महतो सहित सैकड़ों लोगों ने सिद्दू कान्हू पार्क पर बनी प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। इस अवसर पर सैकड़ों की संख्या में महिला एवं पुरुष ग्रामीण पारंपरिक परिधान पहन कर कार्यक्रम में शामिल रहे।

हुल दिवस पर दिखा परंपरागत सखुआ :-

हुल यानी अधिकार के लिए किया गया क्रांति के अवसर पर ग्रामीण एकता मंच द्वारा आयोजित किए गए हुल यात्रा में प्राचीन परंपरागत सखुआ वाद्य का प्रयोग किया गया। बताया गया कि 30 जून 1855 में हुए हुल क्रांति के जयघोष के लिए परंपरागत सखुआ वाद्य का प्रयोग किया गया था। भैंसे की सिंग का उपयोग कर विशेष तरीके से बनाया जाने वाला सखुआ वाद्य का प्रचलन अब लगभग लुप्त प्राय हो चला है। परंपरागत सखुआ वाद्य के वादक मंगल टूडू बताते हैं कि युद्ध के दौरान शंखनाद की तरह आदिवासी संस्कृति में सखुआ नाद के रूप में प्रयोग में लाया जाता था।

Related posts

दुमका:नेहरू युवा केंद्र संगठन दुमका ने राष्टीय खेल दिवस मनाया… – Vananchal 24TV Live – वनांचल 24TV लाइव

admin

SARAIKELA NEWS : जिले के 7 प्रखंड के 7 पंचायत एवं नगर निकाय क्षेत्र में ‘आपकी योजना, आपकी सरकार आपके द्वार’ कार्यक्रम के तहत लगाए गए शिविर… | Vananchal 24TV Live

admin

Saraikela News : शांतिपूर्ण दुर्गा पूजा संपन्न होने पर एकता विकास मंच ने प्रशासन को दी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं……

admin