Sarikela ( Sanjay ) : सरायकेला नगर पंचायत क्षेत्र में अपने नाम पर दुकान आवंटित करा कर भाड़े पर चलाने तथा खाली जगहों पर अवैध रूप से गुमठी लगाकर नगर पंचायत की जमीन पर कब्जा करने की परंपरा वर्षो से चली आ रही है जो अब एक व्यवसाय बन गया है। जिस जिस क्षेत्र में बाजार का रौनक बढ़ता है तथा जहां-जहां सरकारी कार्यालय में लोगों की भीड़ होती है उसके इर्द-गिर्द जहां भी खाली जगह मिलती है पहुंच के बल पर लोग गुमठी निर्माण कर दुकान चलाना यहां की पुरानी परंपरा रही है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सरायकेला नगर पंचायत जो पहले नगरपालिका के नाम से जाना जाता था बड़े पैमाने पर छोटे-मोटे व्यवसायियों को आवंटित करने के लिए दुकानें बनाई गई है। इनमें से अधिकांश दुकानें पहुंच के बल पर बड़े बड़े व्यवसायियों ने अपने-अपने नाम पर आवंटित करा ली है। जिसमें से कुछ दुकानों को भाड़े में चलाया जा रहा है। मुख्य बाजार के कुछ दुकान को गोदाम भी बनाया गया है जबकि नगर पंचायत द्वारा दुकान चलाने के लिए दुकान आवंटित की गई है। छोटे छोटे दुकानदार अपना व्यवसाय चलाने के लिए दुकान लेना चाहते हैं। परंतु आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह दुकान आवंटन कराने में विफल रहते हैं और पैसे वाले अपने पहुंच पर दुकान आवंटन करा लेते हैं।
इस तरह खाली जमीन पर सरायकेला के मुख्य चौक चौराहे एवं कार्यालय के समक्ष जैसे नगर पंचायत कार्यालय, गैरेज चौक, बिरसा चौक, कोर्ट मोड़, जिला खनन कार्यालय एवं सदर अस्पताल के समक्ष न केवल नगर पंचायत की खाली जमीन पर मुख्य सड़क का अतिक्रमण कर भी गुमठी लगाकर मोटरसाइकिल रिपेयरिंग, चाय नाश्ते की दुकान चलाई जा रही है। जिससे आए दिन यातायात की समस्या उत्पन्न होती है। सरायकेला नगर से अनुमंडल कार्यालय, उपायुक्त कार्यालय एवं न्यायालय के स्थानांतरण से जहां नगर पंचायत की अवैध दुकानें हटाई गई थी। अब इस जगह पर कार्यालय का निर्माण अंतिम चरण पर आते ही लोगों द्वारा दुकान के लिए अतिक्रमण शुरू हो गया है। जबकि यह जगह नगर पंचायत कार्यालय की नाक पर है।
सरायकेला बाजार के मुख्य सड़कों का भी नगर पंचायत की मिलीभगत से बड़े बड़े दुकानदारों द्वारा अतिक्रमण कर व्यवसाय चलाया जा रहा है जिससे लोगों को आवागमन में कई तरह की परेशानियां होती है। लोगों की माने तो जमीन अतिक्रमण कर गुमठी लगाने तथा दुकान आवंटित कर भाड़े पर चलाने के मामले में नगर पंचायत के कुछ पदाधिकारियों की मौन सहमति रहती है या कहें लापरवाह रहते हैं। आवंटित दुकानों की सूची सार्वजनिक नहीं किए जाने से यह पता नहीं चलता है कि दुकान किनकी है और चला कौन रहा है। लोगों का कहना है कि अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिन अतिक्रमण से सरायकेला नगर पंचायत की एक इंच जमीन भी नहीं बचेगी।
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